बुधवार, 21 जुलाई 2021

चूम गये जो फाँसी का फंदा

 मर गये प्रेम के सच्चे किस्से अब  क्या जिन्दी कोई पहचान नही 

इंसानो की भीड मे क्यौ अब दिखता कोई इन्सान नही 


चूम गये जो फाँसी  का फंदा जिन्होने झोक दिया जीवन सारा 

अब वो लक्ष्मीबाई जेसी नार नही वो भगतसिंह जेसा प्यार नही


देख कितना बेरहमी से मारा उसको मगर दिल किसी का पसीजा ही नही 
अब तमासा देखते हैं लोग खडे खडे मगर इन्सा के हक मे बोलता इन्सान नही 


क्या आज युवा कायर है क्यौ इसके लहू में उठता उबाल नही
चाहे चौराहे पर लुट जाए अमन क्यौ भरता ये हुंकार नही 


स्वाभिमानी का है मान यंहा पर कायर का कँही सम्मान नही
जिन्दगी होती हे रणभुमि  जिन्दगी कोई आसान नहीं 


कल फिर जन्मेंगे आजाद भगत मैं कभी करता इन्कार नहीं 
पर आज के युवा तेरे कायर होने से ये मुल्क तेरा महफुज नही 


रिस्ते टुट टुट कर हो गए खंडर क्यो एक दूजे पर एतबार नहीं 
एकता अखण्डता से बनता है मुल्क पर एसी तो आज बहार नही