अपना घर ये चमन खोकर
तुम्हारी आँखों में नमी देकर
अब चलना ही पड़ेगा प्यारो
तुम सब से जुड़ा होकर
एक यादो का समां देकर
तुम्हारी होठो पे गजल देकर
कुछ गीत यहाँ गा कर
मेरा सपना था..कि मै जाऊँगा
जन्नत को जमीं पे ला कर
मगर हो गया हूँ दफ़न देखो
केवल शब्दों की फसल बोकर
न दौलत न पूँजी देकर
न लवों पे हँसी देकर
हर इंसान गुजरता हे
सिर्फ आँखों में आंसू देकर
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