देखना व्यर्थ है उन आँखों का
किसी का दुःख दर्द देखकर भी
जो भिगोए न पलकें
फिर क्या देखना है उन आँखों का
किसी का दुःख दर्द देखकर भी
जो भिगोए न पलकें
फिर क्या देखना है उन आँखों का
जो किसी के वास्ते
जो दुर्दशा देख कर भी
हृदय न पिंघले
हाँ
उन आँखों का देखना ही व्यर्थ है
जो देख कर भी
मन में कोई विचार न उगले
देखकर भी वो ऑंखें शायद कुछ भी न देख सकी
जो अन्तर न कर सकी
सही को सही न समझ सकी
गलत को गलत न समझ सकी ..........................
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